भारत सरकार ने पारंपरिक कारीगरों और शिल्पकारों के उत्थान के लिए प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना की शुरुआत की है। यह योजना 1 फरवरी 2023 को लॉन्च की गई, जिसका उद्देश्य कारीगरों को आर्थिक और तकनीकी रूप से सशक्त बनाना है।
योजना की मुख्य विशेषताएं
विवरण | जानकारी |
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वित्तीय सहायता | ₹15,000 |
प्रशिक्षण भत्ता | ₹500 प्रति दिन |
लक्षित लाभार्थी | 30 लाख |
आयु सीमा | 18-60 वर्ष |
योजना अवधि | 2023-2028 |
वित्तीय सहायता का प्रावधान
योजना के अंतर्गत प्रत्येक पात्र कारीगर को ₹15,000 की वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। यह राशि उनके व्यवसाय को बढ़ावा देने और आधुनिक उपकरण खरीदने में सहायक होगी।
पात्रता और आवेदन प्रक्रिया
आवेदक को भारतीय नागरिक होना आवश्यक है और उसकी आयु 18 से 60 वर्ष के बीच होनी चाहिए। आवेदन प्रक्रिया पूरी तरह से ऑनलाइन है, जिसे pmvishwakarma.gov.in पर पूरा किया जा सकता है।
प्रशिक्षण और कौशल विकास
योजना में विभिन्न पारंपरिक कलाओं जैसे बुनाई, लकड़ी का काम, धातु का काम और हस्तशिल्प में प्रशिक्षण का प्रावधान है। प्रशिक्षण के दौरान ₹500 प्रति दिन का भत्ता दिया जाता है।
बाजार और व्यावसायिक सहायता
कारीगरों को अपने उत्पादों को बाजार में बेचने के लिए विशेष प्लेटफॉर्म और सहायता प्रदान की जाती है। इससे उनकी आय में वृद्धि होगी और व्यवसाय का विस्तार होगा।
डिजिटल और तकनीकी सशक्तिकरण
योजना में कारीगरों को आधुनिक तकनीक से जोड़ने का प्रावधान है। इससे वे ऑनलाइन बिक्री और डिजिटल मार्केटिंग का लाभ उठा सकेंगे।
स्थिति की जांच
लाभार्थी आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर अपनी आवेदन स्थिति की जांच कर सकते हैं। इसके लिए पंजीकृत मोबाइल नंबर और आवेदन संख्या की आवश्यकता होगी।
योजना का प्रभाव
यह योजना पारंपरिक कारीगरों के जीवन में महत्वपूर्ण बदलाव ला रही है। इससे न केवल उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार हो रहा है, बल्कि पारंपरिक कलाओं का संरक्षण भी हो रहा है।
भविष्य की संभावनाएं
2025 तक इस योजना से 30 लाख कारीगरों को लाभान्वित करने का लक्ष्य है। इससे भारत की पारंपरिक कला और शिल्प को नई पहचान मिलेगी।
प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना पारंपरिक कारीगरों के लिए एक वरदान साबित हो रही है। यह न केवल उनकी आर्थिक स्थिति को मजबूत कर रही है, बल्कि भारत की समृद्ध कला और संस्कृति को भी संरक्षित कर रही है।